रावण और वामपंथी षड्यंत्र
भारत की सबसे बड़ी मजबूती उसकी संस्कृति है । एक लम्बे काल खंड की परतंत्रता के पश्चात हिंदुत्व विचारों ने भारत को उसके परम वैभव पर पुनः लौटने की राह दिखाई । सही मायने में भारत का अस्तित्व तभी तक सम्भव है जब तक विभिन्न विचारों वाले इस देश में सांस्कृतिक एकता विद्यमान है । यही कारण है कि समय समय पर सांस्कृतिक एकता को तोड़ने के लिए काफी प्रयास हुए । सबसे बड़ा हमला देश के अंदर ही बुद्धिजीवी वर्ग का चोला पहनकर बैठा वामपंथी गैंग कर रहा है । इस वामपंथी गैग ने जोकि स्वयं नास्तिक है, भारत की संस्कृति को खंडित करने का कुटिल चालों से कार्य कर रहा है । कई बार पुस्तकों के माध्यम से, भ्रमित करने वाले लेखों के माध्यम से, कई बार वैचारिक भिन्नताओं का फायदा उठाकर एक दुसरे के विपरीत खड़े करने की कोशिश करके इस गैंग ने भारत को तोड़ने की साजिश रची है । हाल ही में, रावण के गुणगान करने का एक प्रचलन शुरू हुआ है और इसके पीछे भी एक बड़ी साजिश से इनकार नही किया जा सकता । विषय गंभीर है इसलिए विस्तार से जानना आवश्यक है । हम सभी जानते हैं कि रावण महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित श्री रामायण महाकाव्य का हिस्सा है जोकि त्रेतायुग