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सावरकर और हिन्दू राष्ट्र

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शादी के कार्ड के लिए बनाये टेम्प्लेट को आप जन्मदिवस के निमंत्रण देने के लिए इस्तेमाल नही कर सकते। वो व्यवहारिक नही होगा। दोनों का अलग महत्त्व है। हालाँकि दोनों ही निमंत्रण पत्र हैं लेकिन दोनों में बहुत अंतर है। अगर आपको यह समझना है कि एक फल का स्वाद कैसा है तो आप किसी दूसरे फल को चखकर समझ सकते हैं क्या? क्या जामुन खाने में कैसी लगती है , वो आम खा कर समझा जा सकता है क्या? भारत एक लम्बे काल खण्ड तक विदेशी लोगों के द्वारा शासित किया गया। भले ही मुगल काल में विदेशी शासन में स्थायित्व नही आया हो, मतलब बीच बीच में भारतीय राजाओं ने मुगलों के तख़्त को पलटा लेकिन 200 वर्ष का अंग्रेजी काल स्थायित्व के साथ था। इन्ही 200 वर्षों में भारत के खानपान, सोच और विचार में विदेशी घुस गए। भारत का वर्तमान तो विदेशियों के कब्जे में था ही, इतिहास और भविष्य भी कब्जे में लेने की कोशिश हुई। यह कोशिश इस प्रकार हुई कि भारत के लिए जो भी गर्व के प्रसंग इतिहास में थे वो सब या तो दबा दिए गए या इस प्रकार बदल दिए गए कि सन्देह प्रकट करने का अवसर मिलता रहे। अंग्रेजी इतिहासकारों व् अंग्रेजी उँगलियों के कठ