हमारे लिए भाषा का महत्त्व
किसी भी देश के लिए उसकी भाषा गौरव होती है. भाषा उस इकाई की भांति है जिसपर पूरी संस्कृति टिकी है. कई बार राष्ट्रों का आधार का रूप ले लेती है भाषा. सही मायने में भाषा किसी भी राष्ट्र की एकता के लिए बहुत जरूरी है. ‘भाषा’ कभी कभी एक हथियार के रूप में काम करती है भले ही उसका असर देरी से हो. विश्व में कई उदाहरण है जब भाषा के नाम पर दो वर्गों में टकराव हुआ.यूरोप में स्पेनिश-इंग्लिश के नाम पर बहुत आन्दोलन हुए हैं. चीन द्वारा उसके द्वारा हथियाए गये द्वीपों पर जबरदस्ती चीनी भाषा थोपा जाना दिखलाता है की भाषा कितनी जरूरी है. जापान द्वारा जापानी, फ्रांस द्वारा फ्रेंच, जर्मनी द्वारा जर्मन, रूस द्वारा रसियन को हमेशा प्राथमिकता दी जाती रही है. युद्ध के समय जब जर्मनी ने फ्रांस के कुछ हिस्से पर कब्जा कर लिया तो वंहा फ्रेंच को हटाकर जर्मन अनिवार्य कर दी गयी. अरब के देशो की अरबी, पहले फारस की फारसी, उनक्नी पहचान बन गयी. भाषा ‘धर्म’ का प्रसार करती है, सोच का प्रसार करती है. मुस्लिमो ने जहाँ जहाँ राज किया वहां अरबी/फारसी को अनिवार्य करके इस्लाम का प्रचार प्रसार किया. यूरोपियनस ने भी अपने अपने उपनिवेशों में