टोक्यो 2020 ओलिंपिक के सुखद पल
Tokyo 2020 |
जब ओपनिंग सेरेमनी
के दुसरे ही दिन मीराबाई चानू ने वेट लिफ्टिंग में रजत पदक जीता तो भारतीयों के
मोबाइल पर ओलिंपिक शुरू होने का अलर्ट मिल गया। अक्सर क्रिकेट तक सिमटे भारत की
बड़ी आबादी खेलों को तब तक रूचि से नही देखती जब तक कोई भारतीय जीत हासिल न करे।
प्रधानमन्त्री मोदी ने चीयर फॉर इंडिया का अभियान शुरू जरुर किया लेकिन इस अभियान
की शुरुआत मीराबाई चानू के रजत पदक से ही हुई। इस पदक ने आस जगा दी कि भारत इसबार
अवश्य कुछ करेगा। भारत की 65 प्रतिशत आबादी युवा है यानी 35
वर्ष से कम आयु की। इनमे से भी अधिकतर ऐसे हैं जिनकी स्मृति में यह पहला या दूसरा
ओलिंपिक है जिसे वो ध्यान से फ़ॉलो कर रहे हैं। मीराबाई चानू के सिल्वर ने भारत का
वो रिकॉर्ड सभी के सामने फिर एक बार ला दिया जिसमें शामिल है, किसी एक ओलिंपिक में
भारत का ज्यादा से ज्यादा सिर्फ 6 मेडल ही जीत पाना, किसी भी ओलिंपिक में एक से
ज्यादा गोल्ड मेडल कभी न जीतना, 41 साल से राष्ट्रीय खेल की मुंहबोली उपाधि मिली
हॉकी में कोई पदक न होना, 121 वर्ष के इतिहास में एथलेटिक्स में भारत के पास कोइ
पदक न होना आदि।
ओलिंपिक खेल का महाकुम्भ कहे जाते हैं। जापान की राजधानी टोक्यो में 2020 में ओलिंपिक होने थे लेकिन कोरोना महामारी के कारण एक वर्ष के लिए टाल दिए गये हालाँकि इनका नाम “टोक्यो ओलिंपिक 2020” ही रहा। इस ओलिंपिक में 205 देशों ने भाग लिया। इस बार भारत की तरफ से इतिहास का सबसे बड़ा दल गया था जिसमें 127 खिलाड़ी शामिल थे। ओलिंपिक में इसके साथ ही एक टीम शरणार्थी खिलाड़ियों की भी थी। पुरे ओलिंपिक में 33 अलग अलग खेलों की 339 प्रतियोगिताएं हुईं। इससे पहले ब्राज़ील के रियो में 2016 में ओलिंपिक हुए थे और अब अगले ओलिंपिक फ्रांस के पेरिस में 2024 में होंगे।
Meera Bai |
इस बार टैग लाइन थी United By Emotions यानि भावनाओं से एकजुट। यह सच भी है कि ओलिंपिक ने पुरे देश को एकजुट भी
किया। मीरा बाई चानू के रजत ने देश में ऐसी लहर बनाई कि युवा ओलिंपिक से जुड़ गये।
लन्दन ओलिंपिक 2012 के मुकाबले इसबार सोशल मीडिया पर उपस्थिति ज्यादा थी। इससे
युवाओं को खेलों से जुड़ने में मदद मिली। टीवी के मुकाबले ऑनलाइन स्ट्रीमिंग पहली
बार थी।
P.V. Sindhu at Olympic |
वेट लिफ्टिंग के बाद बैडमिंटन में सिन्धु ने कांस्य देश को दिलाया। अपना पहला ओलिंपिक खेल रही बोक्सर लवलीना ने भी कांस्य जीतकर इतिहास रच दिया। हॉकी में भारतीय पुरुष टीम आस्ट्रेलिया से पहला मैच हारने के बाद ऐसे विजयी अभियान पर आगे बढ़ी कि दशकों बाद क्वाटरफाइनल में पहुँच गयी। क्वाटरफाइनल में पहुँचते ही भारत ने इतिहास के पन्नों से आठ स्वर्ण पदक जीतने की याद ताजा कर लीं। पहले तीन मैच हारने के बाद महिला टीम ने भी इस प्रकार खेल दिखाया कि इतिहास में पहली बार क्वाटरफाइनल में जगह बनाई।
Women Hockey Team |
Men Hockey Team |
हॉकी की सफलता ने देश में हॉकी खेल को पुनर्जीवित कर दिया और दशकों बाद पहली बार भारत टीवी से चिपककर हॉकी देखने लगा। सेमीफाइनल में भारतीय पुरुष टीम बेशक हार गयी लेकिन कांस्य पदक के लिए हुए मुकाबले को 5 – 4 से जीतकर इतिहास रच दिया। करीब 41 साल बाद हॉकी में कोई पदक भारत को मिला। क्वाटरफाइनल में जीत हासिल करके महिला हॉकी टीम ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और सेमी फाइनल में हार के बाद कांस्य के लिए खेला। दुर्भाग्यवश 4-3 से हारकर कांस्य तो नही मिला लेकिन हॉकी पुनर्जीवित हो गयी और हॉकी में महिलाओं के दरवाजे खुल गये। ये ओलिंपिक “हॉकी” के लिए हमेशा याद रखे जायेंगे।
Ravi Dahiya |
Bajrang Puniya |
इसके बाद कुश्ती में भारत के रवि कुमार दहिया के सिल्वर मेडल और बजरंग पुनिया के कांस्य ने देश को झुमने का मौका दिया। अब तक भारत 6 पदक जीत चुका था और अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की बराबरी कर चुका था। शनिवार को गोल्फ में भी भारतीय खिलाडी अदिति ने सबको चौंकाते हुए लगातार चार दिन तक टॉप तीन स्थान पर बनाये रखते हुए फाइनल खेला। यह अप्रत्याशित ही था कि गोल्फ के मुट्ठीभर फैन होने के बाबजूद सारे भारत की निगाहें गोल्फ पर टिक गयी। विश्व में 200 रैंकिंग की खिलाड़ी अदिति ने विश्व के श्रेष्ठ खिलाड़ियों के बीच में ऐसा खेल दिखाया कि लगा मेडल पक्का है। अंतिम दिन खराब मौसम के चलते खेल व्यवधान के साथ समाप्त हुआ और अदिति चौथे स्थान पर रहीं। हालाँकि अदिति के कारण गोल्फ भी देश ने देखा और सीखा भी।
Aditi |
भारत खेलों से इस
ओलिंपिक में ऐसा जुड़ा कि युवाओं को खेलों में जाने का निश्चय करने पर मजबूर किया।
हालाँकि टोक्यो में राष्ट्रगान सुनने का मौका अभी भी नही मिला था। शनिवार को यानि
अंतिम दिन से एक दिन पहले जैवलीन थ्रो में राजपुताना राइफल्स के सैनिक और अनेकों
मुकाबलों में रिकॉर्ड बनाते आ रहे नीरज चौपड़ा ने ऐसा भाला फेंका कि सीधे स्वर्ण पर
लगा। एक स्वर्ण पदक ने 135 करोड़ लोगों को खुश और भावुक कर दिया। टोक्यो में बजते
राष्ट्रगान ने देश को स्वर्ण का महत्त्व बता दिया। भारत ने इस स्वर्ण पदक के साथ 2
रजत और 4 कांस्य पदक जीते और कुल 7 पदक जीतकर अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
Neeraj Chopra |
भारतवासियों को यह
पता होना चाहिए कि गोल्ड मेडल की भारत के लिए कीमत क्या है। भारत ने पिछले 41 साल
में सिर्फ दो बार गोल्ड जीतते और राष्ट्रगान बजते देखा है। सन 1980 के बाद 2008
में राष्ट्रगान बजा था जब अभिनव बिंद्रा ने निशानेबाजी में गोल्ड जीता था। इसका
मतलब 65 प्रतिशत जनसंख्या ने सिर्फ एक बार राष्ट्रगान को बजते देखा था और उसमें से
भी बहुत कम होंगे जिन्हें 2008 का वो पल याद है। “टोक्यो 2020” में 2021 में भारत
ने फिर एक बार न सिर्फ राष्ट्रगान देखा बल्कि एक ही ओलिंपिक में स्वर्ण, रजत और
कांस्य तीनों मेडल आते हुए देखे।
Gold Media for India |
इस स्वर्ण पदक की
अहमियत भारतीयों को समझना जरूरी है। यह दर्शाता है कि भारत को अभी किस प्रकार की
तैयारी की आवश्यकता है। भारत को खेलों के मैदान पर भी अपना प्रदर्शन सुधारना होगा।
भारत में समर्थन की कोई कमी नही है, पैसों की और सुविधाओं की कोई कमी नही है। अब
बस युवाओं को आगे आना है। हम वो सब कर सकते हैं जो दुसरे देश कर रहे हैं। भारत
शीर्ष पर अवश्य आएगा। हमें राष्ट्रगान के लिए तरसना नही पड़ेगा और न ही एक एक मेडल
के लिए जूझना होगा। भारत अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है तो विश्व का
सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी कर सकता है। भारत के युवाओं को कोई भी एक खेल चुनकर उसमें
आगे बढना होगा। सरकार प्रयास कर रही है लेकिन युवाओं को कंधे से कंधा मिलाकर बढना
होगा। हॉकी का कांस्य कल स्वर्ण लाने के लिए प्रेरित करेगा। बैडमिंटन का कांस्य कल
स्वर्ण के लिए लड़ना सिखाएगा। निशानेबाजी की मायूशी हमें स्वर्ण पर निशाना लगाने को
मजबूर कर देगी और बजरंग का बजरंग बली जैसा अंदाज और दहिया का दांव कुश्ती में
स्वर्ण के लिए दांव लगाने को प्रेरित करेगा। अदिति का शॉट देश को गोल्फ से जोड़ेगा,
4*400 मीटर में कुछ सेकंड से रह गया पदक फिर भारत को तेज दौड़ने का विश्वास
दिलाएगा। कमलप्रीत कौर का चक्का बेशक फाइनल में न चला लेकिन वो अनेकों लड़कियों को
आगे आने का हौसला बनेगा और अपने प्रदर्शन से ब्रिटेन को तारीफ करने पर मजबूर करने
वाली महिला हॉकी टीम लड़कियों के हाथ में हॉकी थामने की शक्ति देगी। मीराबाई चानू
का रजत समाज और परिवार का वजन उठाने में लगी लड़कियों को ओलिंपिक में भार उठाने को
प्रेरित करेगा और मौका देगा स्वर्ण पदक का भार उठाने का। मैरीकॉम के स्वर्णिम
इतिहास उनके बॉक्सिंग छोड़ने के बाबजूद पंच लगाने की ताकत बनेगा और अनेकों अनेक
लड़कियां लवलीना के पदक की तरह पदक के लिए पंच लगाएंगी। पुरुष टीम का कांस्य बेशक
41 साल के पदक के सूखे को समाप्त कर गया हो लेकिन वो भारत को प्रेरित करेगा फिर
स्वर्ण पदक वाले स्वर्णिम अध्याय को शुरू करने का और नीरज चौपड़ा का गोल्ड मेडल
अनेको युवाओं को आगे लायेगा और फिर प्रताप के भालें की भांति भारत का परचम लहराएगा।
यह ओलिंपिक भारत को
सिर्फ पदक देकर नही गया बल्कि देकर गया है हौसला। यह ओलिंपिक सीखा कर गया है
राष्ट्रगान की धुन सुनने की बेताबी और बता कर गया है हमारी कमजोरी। हमें कमजोरी को
मजबूती बनाना है। पेरिस 2024 ज्यादा दूर नही है।
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