पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का नागपुर प्रस्थान


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर में चल रहा तृतीय वर्ष वर्ग के समापन समारोह में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी जी के मुख्य अतिथि के रूप में आने पर कुछ तथाकथित सेक्युलरो ने हंगामा शुरू कर दिया है। प्रणब मुख़र्जी जी एक परिपक्व नेता है। भले ही वो कांग्रेस के राजनेता रहे हैं लेकिन उन्होंने अपनी सोच को रखते हुए कई बातें ऐसी कही हैं जो कांग्रेस की वैचारिक लाइन से काफी हटकर हैं। आज कांग्रेस में कुछ नेता ही प्रणब जी के समकक्ष हैं लेकिन उनके नागपुर आने पर कपिल सिब्बल व् अन्य छोटे मोटे नेता ने भी उनको नसीहतें देना शुरू कर दिया। दरअसल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने को समाज का अंग और समाज को अपना अंग मानता है। संघ के विचारों के अनुसार सब अपने हैं। और यही कारण है की संघ सभी को अपनी बात रखने व् संघ की बात सुनने का अवसर देता है, चाहे वो किसी समय संघ विरोधी ही क्यों न हो। कई कार्यक्रमों में, जंहा संघ के धुर विरोधी लोग बोलने आते हैं और अगर संघ को निमंत्रण मिलता है तो संघ के लोग वँहा बोलने से कभी नही हिचकते। जबकि हमारे विरोधी भले ही संघ की उपस्थिति देखकर उस कार्यक्रम का बहिष्कार करदे। 

आज देश में कई प्रकार के विचार है लेकिन कम्युनिस्ट विचार ,कभी भी विरोधियों को सुनने की हिम्मत नही करता। कम्युनिस्ट केवल अपनी बात हाँकने और दुसरो को वही सुनने व् बोलने पर मजबूर करते हैं। 
आज जो प्रणब मुख़र्जी जी के नागपुर आगमन पर शोर मचा रहे हैं वो तथाकथित सेक्युलर जमात से हैं या कम्युनिस्ट विचारधारा के समर्थक। याद हो की जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में जब संघ के अधिकारियो को विचार रखने का निमंत्रण गया तो कम्युनिस्ट नेता सीताराम येचुरी व् अन्य ने कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया। जबकि संघ के लोग तब भी कार्यक्रम में आते अगर कम्युनिस्ट वँहा बोलते भी।

संघ हमेशा से सबको बराबर मानता आया है। राष्ट्रवाद के साथ, जो भी राष्ट्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जानता है और ईमानदार है, चाहे वह किसी भी राजनीतिक पार्टी से हो, संघ ने कभी नही दुत्कारा। और यही कारण है की प्रणब मुख़र्जी ,कोंग्रेस के पूर्व नेता होते हुए भी संघ ने उनको तृतीय वर्ष जैसे मुख्य वर्ग में निमंत्रित किया और प्रणब मुख़र्जी की यह समझदारी व् परिपक्वता है की उन्होंने निमंत्रण स्वीकारा। शायद संघ उनके अंदर के व्यक्तिव को पहचान चूका था तभी उन्हें निमंत्रण दिया।

ऐसा नही है कि कांग्रेस संघ के खिलाफ रही है। लेकिन जब जब कांग्रेस में कम्युनिस्टों की अधिकता हुई है तभी कांग्रेस ने संघ विरोधी स्टेण्ड लिया है। जवाहरलाल नेहरू के सलाह देने वाले अधिकतर कम्युनिस्ट ही थे और स्वयं नेहरू भी इस विचार से सहमति रखते थे इसीलिए उन्होंने हमेशा संघ का विरोध किया। संघ का विरोध इसलिए भी क्योकि हिंदुत्व के लिए उनके मन में कोई जगह नही थी। अपनी पुस्तक "भारत: एक खोज" में उनकी लिखी लाइन की "गंगा मेरे लिए सिर्फ एक नदी है, माँ नही" से साफ जाहिर होता है कि वो किस विचार के व्यक्ति थे। हालाँकि 1962 के भारत चीन युद्ध के समय संघ ने अद्वितीय भूमिका निभाई और नेहरू जी को संघ को गणतंत्र दिवस पर परेड में शामिल होने का न्योता देना पड़ा।

लाल बहादुर शास्त्री ने भी भारत पाकिस्तान युद्ध के समय कैबिनेट बैठक में जिसमे सैन्य अधिकारी, सुरक्षा एजेंसि अधिकारी भी शामिल थे, उसमे संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरूजी को भी बुलाया और उन्होंने बैठक में हिस्सा भी लिया. इसके साथ साथ गांधी जी से लेकर कई नेताओ ने खासकर कॉंग्रेसियो ने संघ की तारीफ भी की है और वर्गों में आये भी हैं। और इसीलिए प्रणब मुख़र्जी का नागपुर आना कोई बड़ी बात नही है।



इन सबके बीच एक बात और गंभीरता पूर्वक सोचनी चाहिए कि कुछ कॉंग्रेसी नेता आखिर प्रणब जी का विरोध क्यों कर रहे हैं। सबसे पहली बात की वो किसी एक दल के नेता नही रहे, अब वो पूर्व राष्ट्रपति हैं इसलिए उनकी मर्जी जंहा जाए।
दूसरी बात की अगर वो कोंग्रेस के नेता भी हैं तो भी क्या कोंग्रेस को प्रणब मुख़र्जी जैसे व्यक्ति को संदेह की निगाह से देखना चाहिए। क्या कांग्रेस को प्रणब जी पर कोई शक है की कँही वे भी शाखा में नियमित जाना शुरू न करदे। संघ में तो ऐसी सोच नही है। अगर हमारे कोई भी अधिकारी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से ही व्यक्तिगत क्यों न मिल रहे हो, हम तो कभी नही सोचते की कँही वो अधिकारी कोंग्रेस ज्वाइन करने की तो नही सोच रहा। हम तो यही कहेंगे की सम्भवतः राहुल जी को कोई मार्गदर्शन की जरूरत हुई होगी या उन्हें संघ के बारे में जानने की इच्छा हुई होगी। कोई भी स्वयंसेवक अपने अधिकारी के बारे में कभी भी संदेह प्रकट नही करेगा। लेकिन आज कांग्रेस के नेता जिस प्रकार से शोर कर रहे हैं उससे यही पता चलता है की उन्हें प्रणब जी पर विस्वास नही है।

खैर... सभी आलोचनाओ को मुँह तोड़ जबाब देते हुए प्रणब जी का नागपुर जाना और बिना मांगे सलाह देने वालो को दुत्कारना, उनके बड़े व्यक्तिव को दर्शाता है। मीडिया की नजर उनके सम्बोधन पर है। और हमारे लिए भी एक सुखद अनुभूति कि एक जिम्मेदार पद पर रहने वाले व्यक्ति के विचारों को सुनने का मौका मिलेगा। इसमें कोई शक नही की माहौल देशभक्ति से परिपूर्ण होगा क्योकि वो संघ का अभ्यास वर्ग है।

 सैकड़ो लोग अपना तृतीय वर्ष का वर्ग पूर्ण करके अपने जीवन में आगे बढ़े और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाए। ऐसी मेरी शुभकामनाएं और प्रणब जी भी संघ से सीधे तौर पर परिचित होंगे ,उनके लिए भी शुभकामनाएं।

भारत माता की जय। !!!!

Comments