रोम का इतिहास


वर्ष 2021 का जी 20 शिखर सम्मेलन इटली की राजधानी रोम में चल रहा है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए रोम गये हुए हैं शिखर सम्मेलन विभिन्न शहरों में होते रहते हैं लेकिन रोम का जिक्र होते ही एक अलग लगाव महसूस होता है हो भी क्यों ? रोम वही शहर है जिसका जिक्र भारत में अक्सर इतिहास की पढाई में होता है रोम से जुड़े किस्से कहानियां हमारी पुस्तकों का हिस्सा रही है पश्चिमी दुनिया में कुछ ही शहर हैं जो एतिहासिक दृष्टि से अति प्राचीन हैं भारत दुनिया की सबसे पुरानी संस्कृति है इसलिए हमारे इतिहास में इन शहरों का होना कोई बड़ी बात नही है इजराईल का येरुशलम, यूनान का एथेंस, और रोम (इटली) ये शहर सबसे प्राचीन संस्कृति के उद्गम हैं

पश्चिमी दुनिया यानि यूरोप और अमेरिका (अमेरिका में यूरोप के लोग ही बसे इसलिए | अमेरिका के मूल लोग अब संख्या में कम हैं) स्वयं को जिस संस्कृति का हिस्सा मानते हैं उसकी शुरुआत ग्रीस (यूनान) के एथेंस शहर को मानते हैं कहते हैं कि पश्चिमी दुनिया में जब सभी जगह जंगली मानव था यानि उसका स्वभाव पशु की तरह था तब सिर्फ एथेंस के लोग सभ्य थे एथेंस ही वो शहर है जहाँ से ओलिंपिक खेल शुरू हुए हैं यूनान से ही निकलकर सिकन्दर ने दुनिया जीतने का सपना पाला और सेना लेकर उस समय के हिसाब से एक बड़ा भूभाग पर विजय प्राप्त करते हुए सिन्धु नदी के पास पहुँचा और पोरस से हारकर उसका अभियान समाप्त हुआ चूँकि हम बात कर रहे हैं रोम कि तो हमारा ध्यान रोम और रोमन सम्राज्य पर ही रहेगा की ग्रीस पर

इटली और ग्रीस दोनों पड़ोस में है लेकिन ग्रीस पुराना है आज एक पंक्ति भारत में विख्यात है कि

मिस्त्र, यमन और रोमां, सब मिट गये जहां से

अब तक मगर है बाकि नामोनिशां हमारा

आज सबसे बड़ा दुर्भाग्य यही है कि भारत की तरह रोम का इतिहास सुरक्षित नही रहा रोम का इतिहास मिट चुका है इसका कारण है बड़े पैमाने पर युद्ध, नरसंहार और विध्वंश आज जो भी रोम का इतिहास हमें पता है वो पक्का नही है अनुमानों पर आधारित है जोकि वहां के बाकि बचे शिलालेखों और कुछ ग्रंथों से है या फिर किस्से कहानियों से है रोम स्वयं में एक शहर, एक सम्राज्य का मुख्य केंद्र जिसे रोमन सम्राज्य कहते थे, और एक संस्कृति है जिसे रोमन संस्कृति कहते हैं भारत का कोई एक शहर केंद्र नही है और शायद इसीलिए विदेशी दुश्मनों को पता ही नही लग पाया कि किस शहर को मिटाने से भारत समाप्त होगा जबकि रोम का भाग्य इतना अच्छा नही था कहते हैं कि रोम जब संस्कृति के रूप में फल फुल रहा था तो उसके पास सिर्फ ग्रीस ही था जिसका कुछ प्रभुत्व था

रोम के लोग मूर्तिपूजक थे और एक अलग ही धर्म का पालन करते थे वो धर्म कुछ कुछ हिन्दू धर्म जैसा था क्योकि उसमें वायु का देवता भी था और अग्नि देवता भी सागर का देवता भी था और सूर्य की पूजा भी कहने का अर्थ था कि वर्तमान के सभी धर्म सिवाय हिन्दू के, एक ईश्वर में विश्वास रखते हैं जबकि रोम के लोग अलग अलग भगवानों या देवता की पूजा करते थे यह भी पता चला है कि जब प्रथ्वी पर ईसाई और इस्लाम नही था तब हिन्दू धर्म, यूनानी धर्म, रोमन धर्म, फारसी धर्म और यहूदी धर्म मौजूद था अगर देवताओं और पूजा पद्धति की बात करें तो हिन्दू धर्म की छाप सभी धर्मो में दिखती थी इसका एक कारण इन सबका भारत से सम्पर्क और आर्य संस्कृति का हिस्सा होना था



रोमन देवताओं में एक मार्स हैं जो युद्ध के देवता हैं यूनानी सभ्यता में इन्हें ही एरिस देवता कहा गया है वीनस रोमन धर्म में एक देवी थी जो प्रेम, खूबसूरती और मिलाप की देवी थी यानि एक प्रकार से भारत का कामदेव यूनानी सभ्यता में इन्हें एफ्रोडाइटी कहा गया है डायना रोमन धर्म में शिकार, जंगल या जंगली जानवर की देवी थीं बाद में चाँद की देवी के रूप में उन्हें जाना गया इसके साथ ही प्लेटो, मरक्युरी, जुपिटर, अपोलो, नेप्चून आदि भी रोमन देवता हैं इन्हें आज ग्रहों के नाम के रूप में जाना जाता है इसी प्रकार एक जेनस भी देवता हैं जिनके उपर जनवरी माह को नाम दिया गया भारत में शनि एक देवता हैं जो न्याय के देवता हैं जबकि रोमन धर्म में सैटर्न एक देवता थे जिन्हें कृषि से जोड़कर देखा जाता था

रोम शहर बनने के बाद धीरे धीरे इटली के अंदर अन्य राज्य बनने लगे ये शुरुआत में आपस में लड़ते थे और बाद में एक संयुक्त राष्ट्र का रूप ले लिया ग्रीस के राजा सिकन्दर के मरने के बाद रोम ने प्रगति की उसने यूनान से अपने राज्य वापस ले लिए और फिर धीरे धीरे आगे कदम बढाये यूरोप के बड़े हिस्से पर रोम का अधिपत्य हो गयापश्चिमी में पुर्तगाल तक और पूर्व में फारस तक रोमन राज्य फैला और रोमन साम्राज्य कहलाया रोमन साम्राज्य ने अपना विस्तार युद्धों के जरिए किया जिसके दो परिणाम निकले या तो वो संस्कृति नष्ट हो गयी जिधर रोमन गये और युद्ध जीते या फिर जिस युद्ध में रोमन हारे, रोमन स्वयं नष्ट हो गये कहते हैं कि रोमन लोगों ने वर्तमान के इजराइल की तरफ जब कूच किया था तो उनका निशाना येरुशलम था उस समय येरुशलम यहूदी धर्म का केंद्र था रोमन लोगों ने येरुशलम पर सन 66 में जीत हासिल की सन 135 में रोमन लोगों ने भारी कत्लेआम किया, यहूदी मंदिर को ध्वस्त कर दिया कहते हैं कि तब येरुशलम के एक एक नागरिक की हत्या कर दी गयी येरुशलम शहर को तोड़कर समतल कर दिया गया

रोम गणतंत्र के रूप में भी विख्यात रहा है जिस प्रकार भारत में वैशाली सबसे प्राचीनतम गणतंत्र है उसी प्रकार पश्चिम में रोम प्राचीन गणतंत्र में से एक है हालाँकि गणतंत्र हमेशा नही रहा और 509 ईसा पूर्व से 45 ईसा पूर्व तक ही रहा इसके बाद जुलियस सीजर राजा बने और गणतंत्र खत्म कर दिया यह कहा जाता है कि जुलियर सीजर जिस समय रोम के सम्राट थे उस समय भारत में राजा विक्रमादित्य का शासन था विक्रमादित्य चक्रवर्ती बनना चाहते थे इसलिए उन्होंने दिग्विजय के लिए महान सेना बनाई जिसमें थल सेना और विशाल जल सेना थी विक्रमादित्य ने अपने सैनिकों को सभी जगह भेजा और सभी राजाओं से हार स्वीकार करवाई उसी काल खंड में रोम ने जब हार स्वीकार नही की तो जुलियर सीजर को बंदी बनाकर उज्जैन की गलियों में घुमाया गया इसके बाद विक्रमादित्य चक्रवर्ती राजा कहलाये और उन्होंने अपने शासन काल में आज के अफ़ग़ानिस्तान, ईरान, इराक में गुरुकुल और मन्दिर बनवाये



रोम का साम्राज्य जब बढ़ा तो अफ्रीका तक जा पहुंचा और इजराएल तक जीत हासिल की तब तक ग्रीस भी दम तोड़ चूका था ऐसे में सिर्फ फारस ही एकमात्र सम्राज्य था जो रोमन साम्राज्य के सामने चुनौती दे रहा था जब रोम सम्राज्य बड़ा हो गया तो दो हिस्सों में बंट गया पूर्वी और पश्चमी रोम पश्चिमी साम्राज्य की राजधानी बन गया सन 476 इस्वी में पश्चिमी साम्राज्य ने दम तोड़ दिया और रोम भी नष्ट हो गया



रोम के नष्ट होने के पीछे कई कारण थे आपसी गृह युद्ध ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया हालाँकि पूर्वी रोमन साम्राज्य जोकि तुर्की से संचालित था, सन 1453 तक बना रहा

रोमन साम्राज्य ने कई संस्कृतियों को नष्ट किया यहूदियों के इजराएल को नष्ट करने के बाद यहूदी यहाँ बस नही पाए और उनका इंतजार कई सदियों बाद सन 1948 में समाप्त हुआ लेकिन जब रोम का नष्ट होना शुरू हुआ तो वो भी भयानक था रोम को सबसे ज्यादा नुकसान ईसाईयों ने पहुँचाया ईसाई धर्म के लोगों और रोमन धर्म में मतभेद था जो युद्ध का कारण बना बाद में धीरे धीरे ईसाईयों ने रोमन धर्म को समाप्त करना शुरू किया रोमन मन्दिर ध्वस्त कर दिए गये, मूर्तियाँ तोड़ दी गयी और पूजा पद्धति पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया ग्रंथों को जला दिया गया और चर्च बना दिए गये रोमन सम्राज्य रोमन धर्म के समाप्त होते ही दम तोड़ने लगा हालाँकि रोमन लोगों ने स्वयं को ईसाई धर्म से बचाने की कोशिश की ईसाईयों को कड़ी सजा दी जाती थी और ईसाई रीतिरिवाजों पर प्रतिबन्ध था लेकिन सन 313 ईसवी में रोमन राजा कांस्टेटाइन ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया और क़ानूनी मान्यता दे दी ईसाई धर्म ने इसको एक अच्छी उपलब्धी माना और जल्द ही अपने विस्तार पर जोर दिया जल्द ही पुरे रोम और सम्राज्य में चर्च बना दिए गये और सन 391 ईसवी में ईसाई इतने मजबूत हो गये कि रोमन धर्म पर ही प्रतिबन्ध लगा दिया रोमन देवताओं की पूजा पर भयानक सजा दी जाती थी रोमन धर्म का समाप्त होना ही रोमन सम्राज्य का समाप्त होना साबित हुआ



पूर्वी रोमन साम्राज्य काफी दिन तक चलता रहा उसका एक कारण ईसाईयों का अधिपत्य स्वीकार कर लेना और फारस से संधि था

अब बात करते हैं कुछ ऐसे प्रसंगों की जिसे हम रोम के बारे में पढ़ते हैं

दास प्रथा को लेकर एक कहानी भारत में प्रचलित है कि एक व्यक्ति को कांटे से घायल शेर एक गुफा में मिलता है व्यक्ति कांटे को निकाल देता है कुछ दिन बाद उस व्यक्ति को दास बना लिया जाता है और मनोरंजन के लिए भूखे शेर के सामने रख दिया जाता है लेकिन यह वही शेर होता है जिसको कांटा लगा था और वह व्यक्ति को पहचान लेता है इस कहानी से यह भी पता चलता है कि रोम में दास प्रथा चरम पर थी

एक कहावत जो हम सुनते हैं किजब रोम जल रहा था तब नीरो बंसी बजा रहा था यह कहावत सत्ताधारी व्यक्ति के अपने उत्तरदायित्वों को निभाने को लेकर इस्तेमाल की जाती है दरअसल सन 64 में रोम में भयानक आग लग गयी कहते हैं इस आग की खबर पता चलने पर भी नीरो राजा उदासीन रहा और वायलिन या बंशी बजाता रहा हालाँकि कुछ कहते हैं कि यह खबर झूठ है और नीरों ने आग बुझाने के आदेश दिए थे



रोम बना, ध्वस्त हुआ, फिर खड़ा हुआ और फिर टुटा आज इटली की राजधानी प्राचीन रोम से काफी बड़ी है आज के रोम में कुछ ही दीवारे और खंडहर हैं जो प्राचीन रोम की गवाही देते हैं रोम को कई बार आक्रमण झेलने पड़े और ध्वस्त होना पड़ा आज रोमन धर्म के कुछ ग्रन्थ हैं जोकि पंचतंत्र की कहानियों की पुस्तक से भी कम पन्नों के हैं यानि कुछ सैकड़ों पन्नों में रोमन धर्म के ग्रन्थ सिमटे हुए हैं यह धर्म आज भी है लेकिन बहुत कम लोग इसे मानते हैं इटली में वेटिकन सिटी नाम से एक शहर को देश का दर्जा प्राप्त है जो अब ईसाईयों का सबसे बड़ा गढ़ है क्योकि यहाँ पोप रहते हैं पोप ईसाईयों के सबसे बड़े नेता हैं पोप सिर्फ धार्मिक ही नही बल्कि राजनैतिक नेता भी हैं अलग अलग देशों में बिशप और उनसे जुड़े गिरजाघर कहने को तो धार्मिक हैं लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि ये लोग दूतावास के तौर पर कार्य करते हैं आज इटली अपने इतिहास पर गर्व तो करता होगा लेकिन वर्तमान में खुश है अगर गर्व करे तो भी, अब वो रोमन हैं, उनके बारे में स्पष्ट जानकारी, उनकी धरोहर        

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